top of page
Search

हृषीकेश/ऋषिकेश रेलवे स्टेशन: इतिहास और आज का रूप

  • Writer: shahar gard
    shahar gard
  • Jan 1, 2025
  • 3 min read

Updated: May 5

शुरुआती इतिहास और ईस्ट इंडियन रेलवे से जुड़ाव

ऋषिकेश ब्रांच 1927 में रायवाला से ऋषिकेश तक 7 मील (लगभग 11 किलोमीटर) की रेल लाइन के रूप में शुरू की गई थी।


यह लाइन ईस्ट इंडियन रेलवे (EIR) के तहत बनी थी और इसे नॉर्दर्न मेन लाइन का हिस्सा माना गया। नॉर्दर्न मेन लाइन को पहले अवध (Oudh) और रोहिलखंड रेलवे (O&RR) ने बनाया था, जो 1925 में EIR में मिला दिया गया था। यह ब्रांच तीर्थयात्रियों के लिए एक अहम कड़ी थी और हरिद्वार सहित कई इलाकों से जोड़ने में मददगार साबित हुई।


ईस्ट इंडियन रेलवे (EIR)ईस्ट इंडियन रेलवे 1845 में स्थापित हुई, जिसका मकसद ब्रिटिश भारत में रेल नेटवर्क का तेजी से विकास करना था। शुरुआत में इस रेलवे का प्रमुख काम कोलकाता (उस समय का कलकत्ता) को दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, कानपुर, इलाहाबाद, से जोड़ना था। धीरे-धीरे, रेलवे का नेटवर्क पश्चिम उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हिमालय के निकट के इलाकों तक फैलता चला गया।


नॉर्दर्न मेन लाइन (Northern Main Line)नॉर्दर्न मेन लाइन उत्तर भारत के रेलवे नेटवर्क की मुख्य लाइन थी, जिसे मूल रूप से ओध एंड रोहिलखंड रेलवे (O&RR) ने बनाया था। यह लाइन लखनऊ, बरेली, मुरादाबाद, हरिद्वार, रायवाला और आगे देहरादून जैसे महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ती थी। इस लाइन के बनने से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के प्रमुख शहरों के बीच आवाजाही आसान हो गई, जिससे व्यापार और तीर्थयात्रा दोनों को फायदा मिला।


ओध एंड रोहिलखंड रेलवे (O&RR)ओध एंड रोहिलखंड रेलवे ब्रिटिश राज में उत्तर भारत के बड़े हिस्से (मुख्य रूप से अवध और रोहिलखंड क्षेत्र) को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने के उद्देश्य से शुरू हुई। इसकी स्थापना 1872 में हुई थी। O&RR का काम मुख्य रूप से लखनऊ, मुरादाबाद, बरेली, हरिद्वार जैसे शहरों को रेल से जोड़ना था। 1925 में, O&RR का ईस्ट इंडियन रेलवे (EIR) में विलय कर दिया गया, जिससे यह नेटवर्क उत्तर भारत के अन्य हिस्सों तक फैल गया।


रायवाला स्टेशन की भूमिका रायवाला रेलवे स्टेशन की स्थापना ऋषिकेश के रेलवे से जुड़ने से पहले हुई थी। इस स्टेशन का महत्व इसलिए था क्योंकि यह हरिद्वार और देहरादून को जोड़ने वाली रेल लाइन पर स्थित था। रायवाला ब्रिटिश समय में फौजी छावनी के तौर पर भी प्रसिद्ध था, जिसके कारण यहां एक रेलवे स्टेशन का होना ज़रूरी समझा गया।


हरिद्वार रेलवे स्टेशन का इतिहासहरिद्वार का रेलवे स्टेशन ऋषिकेश से पुराना है। पहली रेल लाइन हरिद्वार तक 1886 में पहुँची थी। हरिद्वार, जो प्राचीन काल से ही एक बड़ा तीर्थस्थान रहा है, ब्रिटिश सरकार के लिए भी एक अहम जगह बन गया। रेलवे पहुँचने से हरिद्वार में श्रद्धालुओं की संख्या तेज़ी से बढ़ने लगी, जिससे यहां पर्यटन और व्यापार दोनों का विस्तार हुआ। ब्रिटिश शासनकाल में EIR ने इसे उत्तरी भारत के धार्मिक पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित किया।



महत्व

पुरानी EIR ब्रांच ने ऋषिकेश को रेल से जोड़ने की नींव रखी थी। अब जो नए स्टेशन और रेल परियोजनाएँ बन रही हैं, वे इस क्षेत्र के बढ़ते पर्यटन और विकास को दिखाती हैं। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग लाइन खासतौर पर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों को बेहतर परिवहन सुविधा से जोड़ने के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। योग नगरी ऋषिकेश स्टेशन jजो की एक नया स्टेशन है, ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल लाइन का हिस्सा है, जो अभी बन रही है। इस लाइन पर काम 2021 में शुरू हुआ और 125 किलोमीटर लंबी यह परियोजना चारधाम यात्रा को आसान बनाने के मकसद से तैयार की जा रही है।


इतिहास के नज़रिए से देखें तो, 1925 में O&RR का EIR में मिल जाना, हिमालय की तराई तक रेलवे पहुँचाने के लिए एक अहम मोड़ था।



Comments


Fill the form or enter your email to stay connected 

Contact Us

bottom of page